पर्यावरण के रक्षक

पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रमुख पदार्थ हैं-

  1. जमा हुए पदार्थ जैसे- धुआं, धूल, ग्रिट, घर आदि।
  2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, आर्सीन्स, हाइड्रोजन, फ्लोराइड्स, फॉस्जीन आदि।
  3. धातुएं जैसे- लोहा, पारा, जिंक, सीसा।
  4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया, क्लोरीन, फ्लोरीन आदि।
  5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश एवं अन्य।
  6. वाहित मल जैसे- गंदा पानी।
  7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी., कवकनाशी, कीटनाशी।
  8. ध्वनि।
  9. ऊष्मा।
  10. रेडियोएक्टिव पदार्थ।

पिछले कुछ समय से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का कहर फैला हुआ है. घर से ऑफिस या स्कूल-कॉलेज जाते समय अगर आप भी मुंह पर कपड़ा बांधने के लिए मजबूर हो जाते हैं या सड़क पर निकलते ही आपको सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है तो जान लीजिए कि ये दिल्ली- एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण का ही असर है. बढ़ते प्रदूषण ने अगर आपका भी जीना मुहाल कर दिया है तो रसोई में रखी ये चीजें आपकी परेशानी को पलभर में दूर कर सकती हैं. आइए जानते हैं प्रदूषण के असर को रोकने के लिए आप इन चीजों का जरूर करें इस्तेमाल-

गुड़ और शहद

गुड़ और शहद को मिलाकर खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. इसकी मदद से व्यक्ति अनेक बीमारियों की चपेट में आने से बच सकता है. इसका यही गुण प्रदूषण के साइड इफेक्ट को भी काफी हद तक कम करता है.

लहसुन

लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है. वायु प्रदूषण से बचने के लिए लहसुन की कुछ कलियां लेकर उन्हें 1 चम्मच मक्खन में पकाकर खा लें. इसे खाने के आधे घंटे पहले और बाद में कुछ नहीं खाना चाहिए. प्रदूषण से होने वाले कफ को दूर करने में यह घरेलू नुस्खा बहुत लाभदायक होता है.

अदरक

बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से बार बार जुकाम या इंफेक्शन होता रहता है. ऐसे में अदरक का सेवन बहुत लाभकारी होता है. इसके लिए 1 चम्मच शहद में गुनगुना अदरक का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से जुकाम की समस्या काफी हद तक ठीक हो जाता है!

काली मिर्च

छाती में कफ की समस्या होने पर काली मिर्च को पीसकर उसका चूर्ण बना लें. 1 चम्मच शहद में थोड़ी सी काली मिर्च पाउडर मिलाकर खाने से फेफड़े साफ होने के साथ-साथ छाती में जमा कफ भी निकलने लगता है.

अजवाइन

नियमित अजवाइन की पत्तियां खाने से खून साफ होता है. अजवाइन आपके शरीर से कई तरह के रोगों को दूर रखता है. शरीर में प्रदूषण के चलते होने वाली परेशानियों को भी अजवाइन दूर करता है. इसके अतिरिक्त अपने आहार में फल और सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए. साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीना चाहिए!

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कृपया कर इस पर विशेष ध्यान दें एवं अमल करें!

पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75%
इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया था, जो जमीन को जल विहीन कर देता है…
आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है।
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही।
हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान दिखेगा।
पीपल के पत्ते का फलक और डंठल अधिक पतला होता है, जिसकी वजह से शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते है और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते है।
वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए :-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।
इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस पर बैन लगाया जाय।
*आइये हम सब मिलकर अपने “हिंदुस्तान” को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ…।।।।।।

Published by Yuva Paryavaran Sanrakshan Sena

Only ,Let's make it, Environment Day, Every Day Better Environment Better Tomorrow.

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